There are many types of primary cells, let us understand in detail how many types of primary cells are there, which cell is used where and what it is made of, and which electrolyte is used in which cell.

प्राथमिक सेल की परिभाषा
वे सेल इन्हें पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता है, प्राथमिक सेल (Defination of Primary Cell) कहलाते हैं| यह रासायनिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने का एक साधन इनके विसर्जित होने पर विद्युत अपघट्य और इलेक्ट्रॉन दोनों का व्यय होता है संपूर्ण इलेक्ट्रान या विद्युत अपघटन के व्यय होने पर यह सेल बेकार हो जाते हैं तथा फिर से इन्हे काम में लाने के लिए इलेक्ट्रोड या विद्युत अपघटन या दोनों को बदलना पड़ता है प्राथमिक सेल में दो सामान चालक प्लेटे एनोड तथा कैथोड विद्युत अपघट्ये में डूबी रहती हैं विद्युत अपघटन एक प्लेट के साथ अधिक रसायनिक क्रिया करता है और परिपथ को बंद करने पर इलेक्ट्रान एक प्लेट से दूसरे प्लेट पर जाने लगता है जिससे दोनों इलेक्ट्रानो के बीच विभवांतर स्थापित होता और परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है इन सैलो से बनी बैटरी को प्राथमिक बैटरी कहते हैं|
प्राथमिक सेल के प्रकार
प्राथमिक सेल निम्नलिखित प्रकार(Types of Primary Cell) के होते हैं आइए जानते हैं कि कितने प्रकार के प्राथमिक सेल होते हैं और उनका क्या प्रयोग है तथा उनके रासायनिक प्रतिक्रिया को समझते हैं
वोल्टेइक सेल
यह एक कांच के बर्तन का बना होता है जिसमें तनु सल्फ्यूरिक एसिड का विलयन भरा होता है और इसमें कॉपर तथा जिंक की छड़ इलेक्ट्रोड का काम करती हैं इसमें कॉपर की छड़ धनात्मक तथा जिंक की छड़ ऋणात्मक इलेक्ट्रोड का कार्य करती हैं अगर इलेक्ट्रॉड को किसी तार द्वारा जोड़कर परिपथ पूरा किया जाए तो इसमें धारा बहने लगती है क्योंकि सल्फ्यूरिक एसिड के आयन हाइड्रोजन और सल्फेट आयन में टूट जाते हैं
H2SO4 → 2H++SO4-2
हाइड्रोजन आयन धारा की दिशा में जाने लगते हैं और कॉपर की प्लेट पर छोटे-छोटे बुलबुले के रूप में जम जाते हैं सल्फेट आयन जिंक की प्लेट की तरफ जाकर जिंक से क्रिया करते हैं और जिंक सल्फेट बनाते हैं
Zn+2+SO4-2 → ZnSO4+2e–
सैल के अंदर धारा जिंक प्लेट से कॉपर प्लेट की ओर तथा बाहर कॉपर प्लेट से जिंक प्लेट की ओर बहती है यही कारण है, कि कॉपर प्लेट एनोड तथा जिंक प्लेट कैथोड का कार्य करती है इस प्रकार के सेल में लोकल एक्शन तथा पोलराइजेशन द्वारा कुछ कमियां पैदा हो जाती हैं जिससे यह अधिक समय तक काम नहीं कर पाती है

डेनियल सेल
इस प्रकार के सेल में तांबे की छड़ (+एनोड इलेक्ट्रोड) कॉपर सल्फेट (CuSO4) के घोल से भरे कांच के बर्तन में डूबी रहती है यह गोल डि-पोलेराइजर का कार्य करता है इस कांच के बर्तन के मध्य एक छिद्र युक्त कांच का बर्तन रखा होता है उसमें अमलगमेटेड जिंक (कैथोड इलेक्ट्रोड) हल्के H2SO4 इलेक्ट्रोलाइट में डूबी रहती है| जब ऋणात्मक व धनात्मक के सिरों पर छोटा लैंप लगाया जाता है तब धारा बहने लगती है जो कि तांबे की छड़ से जस्ते की छड़ की ओर बहती है तब निम्न रासायनिक क्रियाएं होती है
Zn+2+H2SO4 → ZnSO4+2H+
2H++CuSO4 → H2SO4+Cu+2

कॉपर सल्फेट इस सेल में डि-पोलेराइजर का कार्य करता है| यह सेल 1.08 वोल्ट विद्युत वाहक बल प्रदान करता है इसमें जस्ते की छड़ पर मरकरी का लेप चढ़ा होता है
जब सेल को कार्य में नहीं लेना हो तब जस्ते की छड़ को कांच के बर्तन से बाहर निकाल कर रख देना चाहिए
लेक्लांची सेल
एक कांच के खुले मुंह वाले बर्तन में अमोनियम क्लोराइड का घोल भरा होता है जिसमें जिंक की छड़ स्थापित की जाती है जो कैथोड का कार्य करती है इस बर्तन के मध्य में एक छिद्रदार कांच का बर्तन जिसमें मैग्नीज डाई ऑक्साइड तथा कार्बन का चूर्ण भरा होता है यह डी-पोलेराइजर का कार्य करता है एवं इसके बीच में कार्बन की छड़ रखी जाती है जो एनोड का कार्य करती है यदि एक छोटे लैंप को कार्बन व जिंक इलेक्ट्रोड के सिरों से जोड़ा जाए तो सेल में निम्न रासायनिक क्रियाएं होती हैं|

Zn+2+2NH4Cl → ZnCl2+2NH+3+H2
हाइड्रोजन आयन छिद्रदार बर्तन में से कार्बन इलेक्ट्रॉन की ओर जाते हैं व कार्बन को आवेशित करके स्वयं निरावेशित हाइड्रोजन परमाणुओ में बट जाते हैं जब H2 के परमाणु MnO2 मैंगनीज डाइऑक्साइड से क्रिया करते हैं तो इनका अक्सीकरण हो जाता है
H2+2MnO2 → Mn2O3+H2O
इस सेल का विद्युत वाहक बल 46 वोल्ट होता है जहां निरंतर धारा प्रयोग की आवश्यकता नहीं होती है वहां यह सेल काम में लेते हैं द्रव्य होने व कांच का होने के कारण इनको प्रत्येक स्थान पर ले जाने में परेशानी रहती है इसे टेलीफोन विद्युत घंटी तथा टॉर्च आदि में प्रयोग किया जाता है|
ड्राई सेल
ड्राई सेल को हम पुनः आवेशित नहीं कर सकते इसमें पूरा खोल जस्ते का बना होता है जिसमें जस्ता कैथोड इलेक्ट्रॉन का कार्य करता है वह कार्बन की छड़ इसमें मध्य में लगी होती है जो एनोड इलेक्ट्रोड का कार्य करती है कार्बन की छड़ के ऊपर पीतल की गोल बेलनाकार कैप लगी होती है या सेल आकृति में गोल बेलनाकार बना होता है इसमें अमोनियम क्लोराइड का पेस्ट भरा जाता है इसमें जस्ते के बर्तन में एक बारीक़ कपड़े की थैली में मैंगनीज डाइऑक्साइड तथा कार्बन के छोटे-छोटे कण भरे रहते हैं इस थैली में कार्बन की छड़ रखी जाती है जो थैली के कारण अमोनियम क्लोराइड के पेस्ट से फ्री तक रहती है इस थैली को ऊपर से कोलतार पेस्ट से पैक किया जाता है इसमें ऊपर पीवीसी की कैप होती है जिसमें रासायनिक क्रिया से उत्पन्न हुई गैस आदि निकलने हेतु छेद बने होते हैं

इस सेल का आंतरिक प्रतिरोध 0.2 ओम से 0.3 ओम होता है अनेक प्रकार के पोर्टेबल उपकरण एवं टॉर्च में इसका बहुत अधिक उपयोग किया जाता है इसकी एक निश्चित आयु होती है|
मरकरी सेल
मरकरी सेल आकार में छोटा लेकिन अधिक ऊर्जा देने वाला होता है इसका वोल्टेज डिस्चार्ज लगभग एक समान रहता है यह अधिक तापमान सामने वाला तथा अधिक जीवनकाल वाला होता है

यह सेल पोटैशियम हाइड्रोक्साइड तथा मरक्यूरिक ऑक्साइड की लेइ से तैयार किए जाते हैं इनमें यह पेस्ट ही इलेक्ट्रोलाइट का कार्य करते हैं कैथोड इलेक्ट्रोड जस्ते तथा मरकरी के योगिक का बनाया जाता है एनोड इलेक्ट्रोड मरक्यूरिक ऑक्साइड का बनाया जाता है
इनका प्रयोग गाड़ियों अलार्म सिस्टम टेस्टिंग उपकरणों आदि में किया जाता है इन सेल का विद्युत वाहक बल 1.35 से 1.45 वोल्ट होता है यह सेल बटन की आकृति के 12.5 मिलीमीटर x 3 मिलीमीटर मोटाई में होते हैं जंग से बचाने के लिए सेल का कंटेनर निकल पेटिड स्टील का बनाया जाता है इन मरकरी सेल के बीच का इलेक्ट्रोड ऋणात्मक होता है
मरकरी सेल दो प्रकार के होते हैं एक वह जिनका वोल्टेज 1.35 होती है और दूसरा 1.4 वोल्ट का होता है साधारणतः 1.35 वोल्ट वाले सेल का प्रयोग और साइंटिफिक और मेडिकल उपकरणों में होता है जबकि 1.4 वोल्ट को साधारण उपभोक्ता द्वारा प्रयोग किए जाते हैं
जिंक क्लोराइड सेल
जिंक क्लोराइड सेल हेवी ड्यूटी सेल होता है क्योंकि इससे प्राप्त धारा का मान अधिक होता है और यह अधिक धारा के लिए काफी समय तक प्रयोग में लाया जा सकता है

जिंक क्लोराइड सेल की बनावट शुष्क सेल से मिलती जुलती है इन दोनों में केवल इलेक्ट्रोलाइट का ही फर्क होता है इसमें अमोनियम क्लोराइड नहीं होता है बल्कि जिंक क्लोराइड का उपयोग इलेक्ट्रोलाइट के रूप में होता है सेल में क्रिया होते समय पानी का प्रयोग होता रहता है नहीं तो वह पूरी ही सूख जाता है इसलिए सेल कम तापमान पर प्रयोग में लाया जाता है
सिल्वर ऑक्साइड सेल
सिल्वर ऑक्साइड सेल इस प्रकार के सेल बहुत कुछ मरकरी सेलो से मिलते जुलते होते हैं यह कम लोड पर उच्च वोल्टता प्रदान करते हैं मरकरी सेल की भांति सिल्वर ऑक्साइड सेल में उत्तम ऊर्जा तथा चपटी निर्गत वोल्टता अभिलक्षण होते हैं

इनकी बनावट व मरकरी सेल की बनावट में कोई विशेष अंतर नहीं होता है इसमें एनोड इलेक्ट्रोड सिल्वर ऑक्साइड व कैथोड इलेक्ट्रोड जिंक पाउडर का बना होता है
बुनसेन सेल
यह सेल कांच के बर्तन का बना होता है इसमें तनु सल्फ्यूरिक अम्ल इलेक्ट्रोलाइट के रूप में प्रयोग होता है तनु सल्फ्यूरिक अम्ल में मरकरी की परत चढ़ी जस्ते की बनी छड़ रखी जाती है जो कि कैथोड इलेक्ट्रोड का कार्य करती है इस बड़े बर्तन के अंदर छिद्र युक्त एक कांच का बर्तन और रखा जाता है वह उसके मध्य कार्बन छड़ रखी जाती है जो एनोड इलेक्ट्रॉन का कार्य करती है इस बर्तन में नाइट्रिक अम्ल भरा होता है

जिंक की छड़ तनु सल्फ्यूरिक अम्ल से क्रिया करके जिंक सल्फेट व हाइड्रोजन आयन बनाती है हाइड्रोजन जब नाइट्रिक अम्ल से क्रिया करता है तब पानी तथा नाइट्रोजन डाइऑक्साइड बनती है इस सेल का विद्युत वाहक बल 1.9 वोल्ट होता है
निकिल कैडमियम सेल
इसका कैथोड इलेक्ट्रोड कैडमियम तथा एनोड इलेक्ट्रोड निकिल हाइड्रोक्साइड का बनाया जाता है निकिल हाइड्रोक्साइड का प्रयोग निकिल आयरन सेल में भी करते हैं कैडमियम के उपयोग से सेल का आंतरिक प्रतिरोध कम हो जाता है इसका प्रयोग फ्लोटिंग प्रकार की बैटरीओं के लिए अच्छा होता है बड़े डीजल इंजन की बैटरी बनाने में इसका प्रयोग होता है

लिथियम सेल
यह भी प्राथमिक सेल है यह अनेक आमापो और विन्यास में उपलब्ध होते हैं लिथियम के साथ प्रयुक्त रसायनों पर आधारित सेल की वोल्टेज 2.5 से 3.6 वोल्ट के बीच होती है यह अन्य प्रायमरी सेल से उच्च वोल्टेज रखते हैं इसकी आयु 10 वर्ष होती है तथा इनकी उच्च ऊर्जा और भार अनुपात 350Wh/Kg होता है यह सेल -50 से +75 डिग्री सेंटीग्रेड ताप परास पर कार्य करते हैं ये सेल घड़ियों हृदय संबंधित पेस मेकर, टॉर्च इत्यादि में प्रयोग किए जाते हैं
प्राथमिक सेल से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न
प्राथमिक सेल किसे कहते हैं?
वे सेल जिन्हे पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता है प्राथमिक सेल कहलाते हैं
प्राथमिक सेल कितने प्रकार के होते है
प्राथमिक सेल निम्नलिखित प्रकार के होते हैं जैसे लिथियम सेल, निकेल कैडमियम सेल, बुनसेन सेल, सिल्वर ऑक्साइड सेल, जिंक क्लोराइड सेल, मरकरी सेल, ड्राई सेल, लेक्लांची सेल, डेनियल सेल, क्षारीय सेल इत्यादि |
शुष्क सेल का प्रयोग ज्यादातर कहां किया जाता है
शुष्क सेल का प्रयोग ज्यादातर टॉर्च में किया जाता है
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