जल विद्युत उत्पादन कैसे होता है : कितना लाभ और हानि ?

आईटीआई इलेक्ट्रीशियन थ्योरी के छात्रों को सबसे ज्यादा जरूरी है कि वह विद्युत उत्पादन (Hydro Power Plant) की प्रक्रिया को अच्छे से समझे आज के पोस्ट में हम यहां पर जल विद्युत ऊर्जा संयंत्र के बारे में आपको विस्तार से समझाएंगे एवं इसकी क्रियाविधि भी बताएंगे इस से होने वाले लाभ व हानि के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे

क्या आप को पता है विश्व में होने वाले कुल शक्ति उत्पादन का 20 प्रतिशत भाग जल संयंत्र द्वारा प्रदान किया जाता है अतः तापीय शक्ति संयंत्र के बाद शक्ति उत्पादन में जल विद्युत संयंत्र (हाइड्रो पावर प्लांट) का एक महत्वपूर्ण योगदान है|

जल विद्युत उत्पादन कैसे होता है : कितना लाभ और हानि ?
जल विद्युत उत्पादन संयंत्र

हाइड्रो पावर प्लांट क्या है? आइए समझते हैं|

जल विद्युत ऊर्जा का उत्पादन नदियों तथा जिलों में स्वच्छ पानी के भाव से किया जाता है इसके अंतर्गत पानी को उच्च स्थान पर एकत्रित किया जाता है जहां इसके स्थितिज ऊर्जा होती है इस पानी को नीचे की ओर बढ़ाया जाता है जिसके कारण इसके स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है गुरुत्वाकर्षण के कारण पानी का बहाव नीचे की ओर होता है इस बहते हुए पानी में गतिज ऊर्जा होती है जिसका रूपांतरण यांत्रिक ऊर्जा में होता है जल विद्युत शक्ति केंद्रों में इस यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है जल विद्युत केंद्र में विद्युत शक्ति का उत्पादन बहुत ही निम्न दरों पर किया जा सकता है|

हाइड्रो पावर प्लांट का योजनाबद्ध प्रबंधन

हाइड्रो पावर प्लांट के लिए सर्वप्रथम एक नदिया झील पर बांध का निर्माण किया जाता है और भराव क्षेत्र से जल को एकत्रित करके बांध के पीछे जमा किया जाता है ताकि जलाशय बनाया जा सके इस जलाशय से एक दबाओ सुरंग निकाली जाती है और पेनस्टॉक के शीर्ष पर उपस्थित वॉल्व हाउस तक जल को पहुंचाया जाता हैइस वॉल्व हाउस में मुख्य जल गेट व स्वत: पृथककारी वॉल्व होते हैं यह वॉल्व पावर हाउस तक जल के बहाओ पर कंट्रोल करते हैं और जब पेनस्टॉक भर जाता है तो जल की सप्लाई बंद कर लेते हैं इन वॉल्व हाउस से एक बड़े स्टील पाइप जिसे पेनस्टॉक (जलद्वार) कहते हैं के द्वारा जल को टरबाइन तक पहुंचाया जाता है जल टरबाइन जो लिए जलीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है इस टरबाइन के द्वारा मुख्य प्रत्यावर्तन को चलाया जाता है जो यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर देती है इसमें एक सर्च टैंक भी होता है जिसे वॉल्व हाउस उसके ठीक पहले बनाया जाता है विद्युत लोड ना होने की स्थिति में जब टरबाइन गेट अचानक बंद हो जाते हैं तो पेनस्टॉक को हानि पहुंच सकती है अतिरिक्त जल सर्च टैंक में पहुंचकर पेनस्टॉक को छति होने से बचाया जा सकता है

जल विद्युत के फायदे और नुकसान

जल विद्युत ऊर्जा के लाभ

  1. इसकी बनावट अति सरल रखरखाव बेहद कम ईंधन व्य्य तथा प्रदूषण रहित है|
  2. इसमें सहायक उपकरण तापीय शक्ति स्टेशन की अपेक्षा कम काम आते हैं जिससे लागत में कमी होती है|
  3. चुकी ईंधन व्य्य शुन्य है इसलिए इसे चलाना सस्ता पड़ता है|
  4. जल शक्ति विद्युत संयंत्र की कार्यकारी 100 से 125 वर्ष होती है जबकि तापीय शक्ति स्टेशन में या मात्र 20 से 25 वर्ष की होती है|
  5. चुकी यहां कोई ईंधन उपयोग नहीं होता इसलिए जो दिक्कतें तापीय शक्ति स्टेशनों में आती हैं जैसे धुआँ, राख या प्रदूषण हुआ इस संयंत्र में नहीं होती अर्थात इस संयंत्र से आदमी की सेहत को कोई नुकसान नहीं होता|
  6. यह शक्ति विद्युत संयंत्र विद्युत शक्ति उत्पादन के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी पानी उपलब्ध कराते हैं|
  7. इसका चालन बहुत कम होता है जो उपकरण उपयोग में लाए जाते हैं बता भी सकती स्टेशन की तुलना में ज्यादा मजबूत होते हैं तथा कम वेग से (300 – 400 RPM) घूमते हैं जबकि तापीय शक्ति स्टेशन में उपकरण अधिक वेग (3000 – 4000 RPM) से घूमते हैं इसलिए जल विद्युत शक्ति संयंत्र में उपयोग किए जाने वाले उपकरण जल्दी खराब नहीं होते है|
  8. उचित अनुरक्षण होने पर इस शक्ति संयंत्र की दक्षता समय के साथ घटती नहीं है|
  9. इस विद्युत शक्ति संयंत्र में आपाती हानि या नहीं होती हैं|
  10. इस के प्रचलन के लिए अधिक कुशल इंजीनियर और टेक्नीशियनओं की आवश्यकता कम होती है|
  11. यह शक्ति संयंत्र काफी स्वच्छ होता है क्योंकि किसी भी प्रकार के ईंधन का प्रयोग नहीं किया जाता है|
  12. इन सयंत्रो को बिना समय गवाएं तत्काल प्रारंभ किया जा सकता है तथा मात्र 10 से 15 सेकंड में पूर्ण भार अपने ऊपर ले लेती है जिस कारण इस संयंत्र को शिखर भार के लिए भी काम में लिया जाता है|
  13. इन सयंत्रो को दूरदराज के इलाकों में स्थापित करते हैं जहां जमीन सस्ते उपलब्ध होती है|

जल विद्युत ऊर्जा के हानि

  1. इसमें शक्ति उत्पादन पानी की मात्रा पर निर्भर करती है जो कि उस क्षेत्र में हुई वर्षा पर निर्भर करती है इसलिए लंबे सूखे मौसम के कारण शक्ति उत्पादन प्रभावित होती है|
  2. इसके निर्माण मुख्यता बांध के निर्माण में बहुत समय लगता है|
  3. स्थान का चयन पानी के शीर्ष की उपलब्धता के अनुसार किया जाता है और ऐसे स्थान दूरदराज इलाकों में होते हैं जिससे इस संयंत्र की भार केंद्रों से दूरी बढ़ जाती है जिससे संचरण लाइन पर बहुत अधिक खर्च आता है|
  4. बांध मशीनों तथा अन्य उपकरणों को मिलाकर संपूर्ण संयंत्र को खड़ा करने में बहुत खर्चा होता है इन सयंत्रों की प्रति किलो वाट लागत तापीय शक्ति स्टेशनों की तुलना में अधिक होती है|
  5. बांध पर वॉटर हैमर इफेक्ट होता है अगर किसी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप आदि से बांध टूट जाए तो यह बहुत बड़े क्षेत्र को डुबो सकता है जिससे जन-हानि की संभावना बढ़ जाती है|

भारत के प्रमुख जल विद्युत परियोजना

परियोजना का नामप्रदेशनदीस्थापना
लोअर मेट्टूर जलविद्युत परियोजनातमिलनाडुकावेरी नदी1934
शिवानासमुद्र जलविद्युत परियोजनाकर्नाटककावेरी नदी1902
टिहरी जलविद्युत परियोजनाउत्तराखंडभागीरथी नदी1978
रंजीत सागर जलविद्युत परियोजनापंजाबरावी नदी1981
भाखड़ा नांगल बांध परियोजनाहिमाचल प्रदेशसतलुज नदी1948
बाणसागर जलविद्युत परियोजनामध्य प्रदेशसोन नदी2006
ओंकारेश्वर जलविद्युत परियोजनाओडिशाइंद्रावती नदी1996
हीराकुड जलविद्युत परियोजनाओडिशामहानदी1957
इंदिरा सागर बांध परियोजनामध्य प्रदेशनर्मदा नदी2005
श्रीशैलम जलविद्युत परियोजनाआंध्र प्रदेशकृष्णा नदी1960
सलाल जलविद्युत परियोजनाजम्मू एवं कश्मीरचिनाब नदी1970
सरदार सरोवर बांध परियोजनागुजरातनर्मदा नदी1987
मचकुंड बांध जलविद्युत परियोजनाओडिशामचकुंड नदी1955
शिवानासमुद्र जलविद्युत परियोजनाकर्नाटककावेरी नदी1902
नागार्जुन सागर जलविद्युत परियोजनातेलंगानाकृष्णा नदी1967
रंगीत बांध जलविद्युत परियोजनासिक्किमरंजीत नदी2000
  • Motor Star and Delta Connection Hindi
    हम किसी भी थ्री-फेज मोटर का कनेक्शन करते हैं तो हम दो तरीके से करते हैं या तो हम उसको स्टार कनेक्शन Star Connecion में जोड़ेंगे या फिर हम उसको डेल्टा कनेक्शन Delta Connection में जोड़ेंगे आज इस पोस्ट के अंदर मैं आपको यही डाउट क्लियर करूंगा कि हम मोटर का स्टार कनेक्शन कब करते … Read more
  • Underground Cable Classification and Types
    आज के पोस्ट में हम जानेगे की केबल कितने प्रकार के होते है और उनका क्या प्रयोग है और भूमिगत केबल के लाभ और हानि के बारे में भी जानेगे भूमिगत केबल किसे कहते है जिन केबल को जमीन के नीचे स्थापित किया जाता है उन्हें भूमिगत केबल कहा जाता है , जिसका उपयोग बिजली … Read more
  • PNP Transistor क्या है? व्याख्या, कार्य सिद्धांत
    ट्रांजिस्टर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में मूलभूत उपकरण हैं, जो प्रवर्धन, स्विचिंग और सिग्नल मॉड्यूलेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विभिन्न प्रकार के ट्रांजिस्टर के बीच, पीएनपी ट्रांजिस्टर का व्यापक रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सर्किट में उपयोग किया जाता है। इस पोस्ट में, हम पीएनपी ट्रांजिस्टर की मूल बातें, उनकी संरचना, कार्य सिद्धांत और सामान्य अनुप्रयोगों … Read more
  • वोल्टेज ड्रॉप फॉर्मूला – परिभाषा, समीकरण, उदाहरण
    विद्युत प्रणालियों में वोल्टेज ड्रॉप (Voltage Drop in Hindi) एक महत्वपूर्ण तथ्य है जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह वोल्टेज में कमी को दर्शाता करता है जो तब होता है जब विद्युत धारा अपने अंतर्निहित प्रतिरोध के कारण एक कंडक्टर (तार या केबल) के माध्यम से गुजरती है। वोल्टेज में गिरावट सामान्य है, … Read more
  • How to Test PNP and NPN Transistors
    मल्टीमीटर का उपयोग करके NPN (Negative-Positive-Negative) और PNP(Positive-Negative-Postivie) ट्रांजिस्टर का परीक्षण किया जा सकता है। दोनों प्रकार के ट्रांजिस्टर के परीक्षण के लिए सामान्य चरण यहां दिए गए हैं: NPN ट्रांजिस्टर क्या होता है? एक एनपीएन (नकारात्मक-सकारात्मक-नकारात्मक) ट्रांजिस्टर द्विध्रुवी जंक्शन ट्रांजिस्टर (बीजेटी) के दो मुख्य प्रकारों में से एक है, दूसरा पीएनपी (सकारात्मक-नकारात्मक-सकारात्मक) है। ट्रांजिस्टर … Read more