Types of Amplifiers? एम्प्लीफायर क्या होता हैं Hindi

what are the types of amplifiers in Hindi? (एम्प्लीफायर क्या होता हैं हिंदी में ?), from audio to RF and beyond. Discover classifications based on frequency, mode of operation, and coupling methods.

Gain insights into how these essential devices shape our technology and enhance our auditory experiences. Dive into the heart of sound with this comprehensive guide on amplifiers.

एम्पलीफायर किसे कहते है? (What is called Amplifiers?)

थर्मोनिक वाल्व या ट्रांजिस्टर या आई सी युक्त ऐसा परिपथ जो किसी निवेश संकेत का आयाम अथवा शक्ति को बढ़ाने में सक्षम हो, प्रवर्धक या एम्पलीफायर कहते है|

एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है? (How many Types of Amplifiers)

एम्पलीफायर सर्किट अनेक प्रकार के होते हैं उन सब को निम्न चार आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है|

  • आवृत्ति के आधार (According to Frequency)
  • योग्यता के आधार पर (According to Operation)
  • कपलिंग के आधार पर (According to Coupling)
  • पावर के आधार पर (According to Power)

आवृत्ति के आधार पर एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है?
(How many types of amplifiers are there on the basis of frequency?)

किसी एंपलीफायर सर्किट का डिजाइन इस तथ्य पर निर्भर करता है कि उस एंपलीफायर को किस आवृति रेज पर एमप्लीफिकेशन करना है आवृति के अनुसार ही ट्रांजिस्टर तथा अन्य सर्किट घटकों की संरचना निर्भर करती है आवृति के आधार पर एमप्लीफायर्स को निम्न चार वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है|

ए.एफ. एम्पलीफायर (Audio Frequency Amplifiers)

जो एंपलीफायर, ऑडियो फ्रिकवेंसी रेंज 20 हर्ट्ज़ से 20 किलो हर्ट्ज़ के बीच एमप्लीफिकेशन करता है वह (A F Amplifier ) ऑडियो फ्रिकवेंसी एंपलीफायर कहलाता है

इसमें ए.एफ ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है और कपैसिटर तथा इंडक्टर्स का मान इस प्रकार रखा जाता है कि ऑडियो फ्रीक्वेंसी रेंज पर उनका रिएक्टेंस मान बहुत अधिक ना हो| उनका उपयोग रिसीवर, ट्रांजिस्टर तथा अन्य अनेक प्रकार के उपकरण में ए.एफ एमप्लीफिकेशन के लिए किया जाता है|

आर.एफ. एमप्लीफायर (Radio Frequency Amplifiers)

TRF Amplifier

आर.एफ. एमप्लीफायर (RF Amplifier) एक उपकरण है जो रेडियो तथा इलेक्ट्रॉनिक्स संदर्भों में उपयोग होता है। यह उपकरण रेडियो तरंगों को बढ़ाने के काम आता है, ताकि वे दूरस्थ स्थानों तक पहुँच सकें या उचित रूप से संवेदनशील डिवाइसों जैसे कि एंटेना या रेडियो निष्क्रिय को सहारा दे सकें। यह एम्पलीफायर रेडियो फ्रीक्वेंसी रेंज 20 किलोहर्ट्ज़ से 3 x 106 मेगाहर्ट्ज़ में प्रवर्धन करता है

आई. एफ. एंपलीफायर ( Intermediate Frequency Amplifiers)

Audio Frequency Amplifiers

आई. एफ. एंपलीफायर (I.F. Amplifier) एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जो विद्युत वाहन के वाणिज्यिक सिग्नल को बढ़ाने का कार्य करता है। यह आमतौर पर एक उच्च विद्युत वाहन को निर्मित करने वाले विद्युत परिप्रेक्ष्य के हिस्से के रूप में कार्य करता है। यह एम्पलीफायर रेडियो फ्रीक्वेंसी रेंज 450 से 470 किलोहर्ट्ज़ में प्रवर्धन करता है

आई. एफ. एंपलीफायर का प्रमुख उद्देश्य सिग्नल का स्तर बढ़ाना है, ताकि उसे उदाहरण के रूप में एक नेतृत्व प्राप्त कर सकें जो उच्च विद्युत वाहनों द्वारा संग्रहित किया जा सके। इसके अलावा, आई. एफ. एंपलीफायर नाविक रेडियो, टेलीविजन, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में भी उपयोग होता है ताकि वे अधिक सुदृढ़ और स्पष्ट रूप से सुना जा सके।

आई. एफ. एंपलीफायर आमतौर पर ट्रांजिस्टर, वैक्यूम ट्यूब या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के साथ उपयोग होता है जो सिग्नल को बढ़ाने के क्षमता रखते हैं।

वीडियो एंपलीफायर (Video Amplifiers)

जो एम्पलीफायर लगभग 4 MHz से 7 MHz चौड़े बैंड पर एम्पलीफिकेशन करता है वह वीडियो, वाइड बैन्ड या पल्स एम्पलीफायर (video, wide band or pulse amplifier) कहलाता है।

वीडियो एम्पलीफायर का फ्रीक्वेंसी रेसपोंस (frequency response) 50 Hz से 4 MHz तक लगभग समान रहता है। इसका उपयोग टेलीविजन, राडार आदि उपकरणों में किया जाता है ।

योग्यता के आधार पर एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है?
(How many types of amplifiers are there on the basis of Operation?)

योग्यता के आधार पर एंपलीफायर को निम्नलिखित छः भागों में बांटा जाता है

श्रेणी ए एम्पलीफायर (Class A Amplifiers)

जिस एम्पलीफायर में ट्राँसिस्टर बायस तथा सिगनल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किये गये हों कि इनपुट सिगनल के पूरे समय के लिए कलैक्टर करंट प्रवाहित होती रहे वह श्रेणी ‘ए’ एम्पलीफायर कहलाता है।

श्रेणी बी एम्पलीफायर (Class B Amplifiers)

जिस एम्पलीफायर में ट्राँसिस्टर बायस तथा सिगनल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किये गये हों कि इनपुट सिगनल के लगभग आधे समय के लिए ही कलैक्टर करंट प्रवाहित होती हो वह श्रेणी ‘बी’ एम्पलीफायर कहलाता है।

श्रेणी ए. बी. एम्पलीफायर (Class AB Amplifiers)

जिस एम्पलीफायर में ट्राँसिस्टर बायस तथा सिगनल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किये गये हों कि इनपुट सिगनल के आधे से अधिक परन्तु पूरे से कम समय के लिए कलैक्टर करंट प्रवाहित होती रहे, वह श्रेणी ‘ए-बी’ एम्पलीफायर कहलाता है।

श्रेणी सी एम्पलीफायर (Class C Amplifiers)

जिस एम्पलीफायर में ट्राँसिस्टर बायस तथा सिगनल वोल्टेज इस प्रकार समायोजित किये गये हों कि इनपुट सिगनल के आधे से भी कम समय के लिए कलैक्टर करंट प्रवाहित हो, वह श्रेणी ‘सी’ एम्पलीफायर कहलाता है।

श्रेणी डी एम्पलीफायर (Class D Amplifiers)

क्लास डी एम्पलीफायर एक इलेक्ट्रॉनिक एम्पलीफायर है जो विद्युत संकेतों को बढ़ाने के लिए स्विचिंग ट्रांजिस्टर का उपयोग करता है। यह पारंपरिक एम्पलीफायरों की तुलना में ट्रांजिस्टर को तेजी से चालू और बंद करके, बिजली की हानि और गर्मी उत्पादन को कम करके उच्च दक्षता प्राप्त करता है।

पारंपरिक एनालॉग एम्पलीफायरों के विपरीत, जो इनपुट सिग्नल को अनुमानित करने के लिए वोल्टेज या करंट को लगातार बदलते रहते हैं, क्लास डी एम्पलीफायर तेजी से एक पल्स ट्रेन उत्पन्न करने के लिए ट्रांजिस्टर को चालू और बंद करते हैं जो इनपुट तरंग का अनुमान लगाता है।

श्रेणी टी एम्पलीफायर (Class T Amplifiers)

क्लास टी एम्पलीफायर, जिसे “त्रिपथ एम्पलीफायर” के रूप में भी जाना जाता है, एक प्रकार का ऑडियो एम्पलीफायर है जो क्लास डी और क्लास एबी एम्पलीफायरों दोनों की विशेषताओं को जोड़ता है। यह क्लास डी एम्पलीफायरों के समान उच्च दक्षता प्राप्त करने के लिए कंपनी ट्रिपथ टेक्नोलॉजी इंक (अब निष्क्रिय) द्वारा विकसित एक मालिकाना डिजिटल मॉड्यूलेशन तकनीक का उपयोग करता है, जबकि क्लास एबी एम्पलीफायरों की तुलना में उच्च ऑडियो निष्ठा भी बनाए रखता है।

कपलिंग के आधार पर एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है?
(How many types of amplifiers are there on the basis of Coupling?)

आमतौर पर केवल एक एंपलीफायर स्टेज पर्याप्त एमप्लीफिकेशन नहीं कर पाती तो कई स्टेज को क्रमशः संयुक्त कर दिया जाता है एक स्टेज के आउटपुट सिग्नल को दूसरी स्टेज के इनपुट सिगनल से जोड़ने की विधि को कपलिंग कहलाती है सामान्यता कपलिंग की निम्न चार विधियां हैं|

आर.सी कपल्ड एमप्लीफायर (RC Coupled Amplifier)

RC Coupled Amplifier

इस विधि में सिगनल की कपलिंग दो रेसिस्टर्स तथा एक कैपेसिटर द्वारा की जाती है इसीलिए यह आर.सी. (रेसिस्टेंस कैपेसिटेंस) कपलिंग कहलाती है।

इंपेडेंस कपल्ड एमप्लीफायर (Impedance Coupled Amplifier)

Impedance Coupled Amplifier

आर.सी. कपलिंग का सुधरा हुआ रूप है इम्पीडेंस कपलिंग। इसमें कलैक्टर लोड रेसिस्टर R, के स्थान पर सर्किट की फ्रीक्वेंसी के अनुसार इन्डक्टिव लोड प्रयोग किया जाता है, इन्डक्टिव लोड (inductive load) के कारण कपलिंग की यह विधि इम्पीडेंस कपलिंग कहलाती है।

ट्रांसफॉर्मर कपल्ड एमप्लीफायर (Transformer Coupled Amplifier)

Transformer Coupled Amplifier

इस विधि में कपलिंग के लिए एक इन्टरस्टेज या ड्राइवर (interstage or driver) ट्रांसफार्मर प्रयोग किया जाता है। ट्राँसफार्मर की प्राइमरी वाइन्डिंग प्रथम ट्राँसिस्टर के लिए इन्डक्टिव लोड का तथा सेकन्डरी वाइन्डिंग द्वितीय ट्राँसिस्टर के सिगनल स्रोत का कार्य करती है । इम्पीडेंस कपलिंग की भाँति ही इसमें भी अनावश्यक डी.सी. वोल्टेज ड्रॉप नहीं होता,

डायरेक्ट कपल्ड एमप्लीफायर (Direct Coupled Amplifier)

Direct Coupled Amplifier

डायरेक्ट कपल्ड एम्पलीफायर एक एम्पलीफायर है जहां एक चरण का आउटपुट कैपेसिटर या ट्रांसफार्मर के उपयोग के बिना सीधे अगले चरण के इनपुट से जुड़ा होता है। यह एसी सिग्नल के निरंतर प्रवाह की अनुमति देता है, जो इसे सटीक आवृत्ति प्रतिक्रिया की आवश्यकता वाले अनुप्रयोगों के लिए उपयुक्त बनाता है। हालाँकि, डीसी ऑफसेट वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए सावधानीपूर्वक डिज़ाइन की आवश्यकता होती है, जिसे ठीक से प्रबंधित न करने पर विकृति हो सकती है।

पावर के आधार पर एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है?
(How many types of amplifiers are there on the basis of Power?)

शक्ति के आधार पर एंपलीफायर दो प्रकार के होते हैं

वोल्टेज एंपलीफायर (Voltage Amplifier)

वोल्टेज एम्पलीफायर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या सर्किट है जो इनपुट सिग्नल के आयाम (वोल्टेज स्तर) को बढ़ाता है जबकि इसकी आवृत्ति सामग्री को अपरिवर्तित रखता है। यह इनपुट वोल्टेज की तुलना में उच्च आउटपुट वोल्टेज प्रदान करके ऐसा करता है। आगे की प्रक्रिया या प्रसारण के लिए कमजोर संकेतों को मजबूत करने के लिए यह प्रवर्धन प्रक्रिया विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों, जैसे ऑडियो एम्पलीफायरों, रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) एम्पलीफायरों और इंस्ट्रूमेंटेशन एम्पलीफायरों में महत्वपूर्ण है।

पावर एंपलीफायर (Power Amplifier)

पावर एम्पलीफायर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या सर्किट है जो कम-शक्ति विद्युत सिग्नल लेता है और इसके आयाम (वोल्टेज या करंट) को लोड चलाने के लिए उपयुक्त स्तर तक बढ़ाता है, जैसे कि स्पीकर या एंटीना। इसका प्राथमिक कार्य लाउडस्पीकर या अन्य ट्रांसड्यूसर को चलाने के लिए पर्याप्त शक्ति प्रदान करना है ताकि ध्वनि उत्पन्न की जा सके या दूर तक सिग्नल प्रसारित किया जा सके।

पैरेलल सर्किट (Parallel Circuit)

पावर एम्पलीफायर बनाने का सबसे सरल तरीका यह है कि दो बिल्कुल एक जैसे ट्राँसिस्टर्स को पैरेलल में जोड़ दिया जाये। यदि दो ट्राँसिस्टर हैं तो कलैक्टर को कलैक्टर से, बेस को बेस से और एमीटर को एमीटर से जोड़ दिया जाता है । इस प्रकार एक स्टेज की अपेक्षा दो गुनी करंट प्रवाहित होगी और पावर का मान दो गुना हो जायेगा। पैरेलल एम्पलीफायर सर्किट का उपयोग अधिकतर ट्रांसमिटर्स में किया जाता है।

पुश पुल सर्किट (Push Pull Circuit)
Push Pull Circuit Amplifier

इसमें भी दो एक जैसे ट्राँसिस्टर प्रयोग किये जाते हैं परन्तु इसमें दोनों घटकों को बिल्कुल समान वोल्टेज मान परन्तु विपरीत फेज के इनपुट सिगनल दिये जाते हैं । इस कार्य के लिए मध्य सिरा युक्त सेकेन्डरी वाइंडिंग वाला इनपुट ट्रांसफार्मर प्रयोग किया जाता है। इस एम्पलीफायर का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें हार्मोनिक डिस्टॉर्शन (harmonic distortion) समाप्त हो जाता है। इस प्रकार आउटपुट पावर में और अधिक वृद्धि हो जाती है।

सिंगिल एन्ड पुश पुल सर्किट (Single end Push Pull Circuit)
Single end Push Pull Circuit Amplifier

फेज इन्वर्टर युक्त पुशपुल एम्पलीफायर में इनपुट पुशपुल ट्रांसफार्मर नहीं लगाया जाता और सिंगल एण्ड पुशपुल सर्किट में आउटपुट पुशपुल ट्रांसफार्मर नहीं लगाया जाता। सिद्धांततः दोनों प्रकार के सर्किट सिंगल एन्ड पुशपुल प्रकार के होते हैं परन्तु व्यवहार में दूसरे प्रकार के सर्किट को ही सिंगल एन्ड पुशपुल एम्पलीफायर कहतें हैं।

कंप्लीमेंट्री सिमेट्री सर्किट (Complementary symmetry Circuit)
Complementary symmetry Circuit amplifier

यह एक विशेष प्रकार का पुशपुल एम्पलीफायर सर्किट है जो केवल ट्राँसिस्टर्स के द्वारा ही बनाया जा सकता है, वाल्व्स के द्वारा नहीं । इसमें एक P-N-P तथा दूसरा N-P-N प्रकार का ट्राँसिस्टर प्रयोग किया जाता है (जबकि वाल्व्स केवल एक ही प्रकार के होते हैं)। इस सर्किट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके लिए इनपुट या आउटपुट पुशपुल ट्रांसफार्मर की आवश्यकता नहीं होती। P-N-P तथा N-P-N ट्राँसिस्टर्स का पुशपुल एम्पलीफायर के सन्दर्भ में पूरक (complementary) स्वभाव होने के कारण ही यह सर्किट कम्पलीमैन्ट्री सिमैट्री सर्किट कहलाता है

एम्पलीफायर किसे कहते है?

थर्मोनिक वाल्व या ट्रांजिस्टर या आई सी युक्त ऐसा परिपथ जो किसी निवेश संकेत का आयाम अथवा शक्ति को बढ़ाने में सक्षम हो, प्रवर्धक या एम्पलीफायर कहते है|

पावर के आधार पर एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है?

शक्ति के आधार पर एंपलीफायर दो प्रकार के होते हैं

  1. वोल्टेज एंपलीफायर (Voltage Amplifier)
  2. पावर एंपलीफायर (Power Amplifier)

कपलिंग के आधार पर एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है?

शक्ति के आधार पर एंपलीफायर 4 प्रकार के होते हैं

  1. आर.सी कपल्ड एमप्लीफायर (RC Coupled Amplifier)
  2. इंपेडेंस कपल्ड एमप्लीफायर (Impedance Coupled Amplifier)
  3. ट्रांसफॉर्मर कपल्ड एमप्लीफायर (Transformer Coupled Amplifier)
  4. डायरेक्ट कपल्ड एमप्लीफायर (Direct Coupled Amplifier)

योग्यता के आधार पर एम्पलीफायर कितने प्रकार के होते है?

शक्ति के आधार पर एंपलीफायर 4 प्रकार के होते हैं

  1. श्रेणी ए एम्पलीफायर (Class A Amplifiers)
  2. श्रेणी ए एम्पलीफायर (Class A Amplifiers)
  3. श्रेणी ए. बी. एम्पलीफायर (Class AB Amplifiers)
  4. श्रेणी सी एम्पलीफायर (Class C Amplifiers)
  5. श्रेणी डी एम्पलीफायर (Class D Amplifiers)
  6. श्रेणी टी एम्पलीफायर (Class T Amplifiers)
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